विश्वास पर धोखा शायरी
दोस्तों आप सभी का एक बार फिरे से स्वागत है। तो आज आप सभी की डिमांड पर हम आपके सामने लेकर पेश हुए हैं विश्वास पर धोखा शायरी (vishwas par dhokha shayari) जिसे पढ़कर आपको काफी अच्छा लगने बाला हैं। और जिस तरह की शायरी ढूंढते हुए आप यहां आए हैं आपको वैसी ही शायरी यहां पर मिलने वाली है।
बात मुझे मत बता क्या बात रही है
रह साथ उसके जिसके साथ रात रही है
ज़रा भी न हिचकिचाई होते हुए वेआवरू
वता तेरे जिस्म से और कितनो की मुलाकात हुई है
रह साथ उसके जिसके साथ रात रही है
ज़रा भी न हिचकिचाई होते हुए वेआवरू
वता तेरे जिस्म से और कितनो की मुलाकात हुई है
कुछ तो जला होगा यूँ बेवजह धुआँ तो न हुआ होगा
जिसे डरते हैं ख्वाब में भी देखने से भी वो हादसा हकीकत में जैसे हुआ होगा
और मेरे हाथ कांपते हैं उसकी तस्वीर को छूते हुए ए दोस्त
वो गैर के साथ हमबिस्तर कैसे हुआ होगा
जिसे डरते हैं ख्वाब में भी देखने से भी वो हादसा हकीकत में जैसे हुआ होगा
और मेरे हाथ कांपते हैं उसकी तस्वीर को छूते हुए ए दोस्त
वो गैर के साथ हमबिस्तर कैसे हुआ होगा
पलकों ने बहुत समझाया पर ये आँख नहीं मानी
दिन तो हँसकर गुज़ारा हमने पर ये रात नहीं मानी
और बिस्तर की सलवट दे रहीं थी गवाही गैर की हमने करवट बदल ली
मगर ये बात नहीं मानी
दिन तो हँसकर गुज़ारा हमने पर ये रात नहीं मानी
और बिस्तर की सलवट दे रहीं थी गवाही गैर की हमने करवट बदल ली
मगर ये बात नहीं मानी
रूह तड़प तक जायेगी मेरी
लेकिन हम फरयाद नहीं करेंगे
मर जायेंगे तेरी सताई हुई बातों से
पर तुझे कभी याद नहीं करेंगे
लेकिन हम फरयाद नहीं करेंगे
मर जायेंगे तेरी सताई हुई बातों से
पर तुझे कभी याद नहीं करेंगे
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में
सुना है तुमहारे चाहने बाले बहुत हैं
ये इश्क की मिठाई सब में बांट दी तुमने
और सचमुच बहुत पक्की ड़ोर है तेरी बेवफाई की
सुना है रकीब की ही पतंग काट दी तुमने
ये इश्क की मिठाई सब में बांट दी तुमने
और सचमुच बहुत पक्की ड़ोर है तेरी बेवफाई की
सुना है रकीब की ही पतंग काट दी तुमने
सारी रात उसे छूने से डरता रहा
मैं वेवस बेचैन वस करवटें बदलता रहा
और हाथ तो मेरा ही था उसके हाथ में
बस बात ये है कि ज़िक्र किसी और का चलता रहा
मैं वेवस बेचैन वस करवटें बदलता रहा
और हाथ तो मेरा ही था उसके हाथ में
बस बात ये है कि ज़िक्र किसी और का चलता रहा
हकीकत से रूबरू हो गया हूँ मैं
ये पर्दा किस बात का कर रही है
एक मैं हूँ आँख से आँसू नहीं रूक रहे
एक तू है की हँस के बात कर रही है
ये पर्दा किस बात का कर रही है
एक मैं हूँ आँख से आँसू नहीं रूक रहे
एक तू है की हँस के बात कर रही है
तेरा कुछ अशक बाकी रह गया मुझमें
बरना कब किसी की कही इतनी वरदास्त रही है
और ग़लती मेरी ये रही के तुझे सर पर बैठा लिया
बरना कदमों लायक भी कहा तेरी औकात रही है
बरना कब किसी की कही इतनी वरदास्त रही है
और ग़लती मेरी ये रही के तुझे सर पर बैठा लिया
बरना कदमों लायक भी कहा तेरी औकात रही है
लोगों ने जितना नीचे गिराने की कोशिस की
उतनी ऊँची बुलंदियां चूम रहा हूँ
और धोखा देकर क्या उखाड़ लिया मेरा
पहले सिर्फ एक काँटा था
अब जानलेबा हथयार बनकर घूम रहा हूँ
उतनी ऊँची बुलंदियां चूम रहा हूँ
और धोखा देकर क्या उखाड़ लिया मेरा
पहले सिर्फ एक काँटा था
अब जानलेबा हथयार बनकर घूम रहा हूँ
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तो दोस्तों आपको ये विश्वास पर धोखा शायरी कैसी लगी है हमें बताना न भूलें। और यदि ऐसी ही अच्छी-अच्छी शायरी अपने पास पाते रहने के लिए Kuchkhastech.info पर फिर से आना न भूलें. हमें काफी ज्यादा महनत करके ये शायरी ढूंढ़ कर आपके सामने लायें हैं. और आशा करते हैं की आपको बहुत ही अच्छी लगी होगी।