Rahat Indori Shayari In Hindi
भारत में आज तक बहुत से ऐसे शायर आये जिन्होंने अपनी शायरी से लोगों के दिल जीत लिए। और आगे भी ऐसे शायर आते ही रहेंगे जो दिल की बात को शायरी की ज़ुबानी हम लोगों तक पहुंचते रहेंगे। तो आज हम आपके सामने ऐसे ही एक बहुत बड़े शायर राहत इन्दोरी जी की कुछ शायरियां आपके सामने पेश करने जा रहे है। तो आज के बाद जब भी internet पर Rahat Indori Shayari In Hindi सर्च करेंगे तो आपके सामने राहत इन्दोरी जी की ये मशहूर शायरियां आएगी। राहत इंदौरी शायरी हिंदी लव सुन कर हर किसी का दिल खुस हो जाता है। इनकी शायरी में जो बात है वो और किसी के भी अंदर नहीं है. मुझे पता है जैसे rahat indori shayri मुझे पसंद है आपको भी पसंद होगी। चलिए दोस्तों तो शुरू करते है और आपको रूबरू कराते है दिल को छू लेने वाली शायरी से.
राहत इन्दोरी शायरी In Hindi
Rahat Indori Shayari |
किसने दस्तक दी ये दिल पर
कौन है
आप तो अन्दर हैं
ये बाहर कौन है
शहरों में तो बारूदों का मौसम है
गांव चलो ये अमरूदों का मौसम है
राज जो कुछ हो इशारों में बता भी देना
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना
गुजर गया जो किसी दिन वो गुजरने वाला था
मैं बच भी जाता तो एक रोज़ मरने वाला था
मेरा नसीब के मेरे हाथ कट गये वरना
मैं तेरी मांग में सिंदूर भरने वाला था
गुलाब, ख्वाब, दबा, जाम क्या क्या है
मैं आ गया हूँ बताओ इंतजाम क्या क्या है
बुलाती है मगर जाने का नहीं
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से इश़्क कर
पर हद से गुज़र जाने का नहीं
जवानियों में जबानी को धूल करते हैं
जो लोग भूल नहीं करते भूल करते हैं
और अगर अनारकली है सवव बगावत का
सलीम हम तेरी शरतें कबूल करते हैं
सुला चुकी थी ये दुनिया थपक-थपक के मुझे
जगा दिया तेरी पंजेब ने खनक के मुझे
कौई बताये के मैं इसका क्या इलाज़ करूँ
परेशान करता है ये दिल धड़क-धड़क के मुझे
मुझ में कितने राज़ हैं बतलाऊं क्या
बंद एक मुदत्त से हूँ
खुल जाऊ क्या
आजिजी, मिन्नत, खुशामद, इल्तिजा
और मैं क्या क्या करूँ मर जाऊ क्या
तुफ़ानों से आंख मिलाओ सेलाबों पर बार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो तेर के दरिया पार करो
मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो
आसमां लोये हो, ले आओ जमीं पर रख दो
अब कहां ढूंढने जाओगे हमारे कातिल
आप तो कत्ल का इल्जाम हमी पर रख दो
मैंने जिस ताक पे कुछ टूटे दिये रखें हैं
चांद तारों के भी लेजाकर वहीं पर रख दो
बन के एक हादसा बाजार में आ जायेगा
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जायेगा
चोर उचक्कों की करो कद्र
के मालूम नहीं कौन कब कौन सी सरकार में आ जायेगा
नई दुकानों के चक्कर से निकल जा वरना घर का सामान भी बाजार में आ जायेगा
अगर खिलाफ़ हैं होने दो
जान थोड़ी है, ये सब धुंआ है
कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आयेगे घर कई ज़द में
यहां पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है
हमारे मुंह से जो निकले वोही सदाकत है
हमारे मुह में तुमहारी जुबां थोड़ी है
फूलों की दुकाने खोलो , खुसबू का व्यापार करो,
इश्क़ खता है तो, इसे एक बार नहीं सौ बार करो
इश्क़ खता है तो, इसे एक बार नहीं सौ बार करो
Rahat Indori Shayari |
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
Rahat Indori Shayari |
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे,
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे
Rahat Indori Shayari |
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे
Rahat Indori Shayari |
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
Rahat Indori Shayari |
किसने दस्तक दी, दिल पे,
ये कौन है? आप तो अन्दर हैं,
बाहर कौन है?
ये कौन है? आप तो अन्दर हैं,
बाहर कौन है?
Rahat Indori Shayari |
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था,
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था
Rahat Indori Shayari |
कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे,
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे
Rahat Indori Shayari |
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे,
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
Rahat Indori Shayari |
मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं
इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है
नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं
नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं
Rahat Indori Shayari |
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
Rahat Indori Shayari |
चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।
Rahat Indori Shayari |
तेरी हर बात मोहब्बत में गँवारा करके,
दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके,
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके
दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके,
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके
Rahat Indori Shayari |
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं
Rahat Indori Shayari |
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी है परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ
ऐसे ज़िद्दी है परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ
Rahat Indori Shayari |
हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते-जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते-जाते
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते-जाते
Rahat Indori Shayari |
पसीने बाँटता फिरता है हर तरफ़ सूरज,
कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूँगा उसे
कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूँगा उसे
Rahat Indori Shayari |
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं ,
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं
Rahat Indori Shayari |
अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं,
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं
Rahat Indori Shayari |
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए
Rahat Indori Shayari |
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें
Best Rahat Indori Shayari
Rahat Indori Shayari |
गुलाब, ख्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या हैं
मैं आ गया हूँ बता इंतज़ाम क्या-क्या हैं
मैं आ गया हूँ बता इंतज़ाम क्या-क्या हैं
Rahat Indori Shayari |
जवानियों में जवानी को धूल करते हैं,
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का,
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का,
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं
नए सफ़र का नया इंतज़ाम कह देंगे
हवा को धूप, चिरागों को शाम कह देंगे
किसी से हाथ भी छुप कर मिलाइए वरना,
इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे
हवा को धूप, चिरागों को शाम कह देंगे
किसी से हाथ भी छुप कर मिलाइए वरना,
इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे
Rahat Indori Shayari |
जवां आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे,
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे ,
भुलादे मुझको मगर,
मेरी उंगलियों के निशान तेरे बदन पे
अभी तक चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे ,
भुलादे मुझको मगर,
मेरी उंगलियों के निशान तेरे बदन पे
अभी तक चमक रहे होंगे
Rahat Indori Shayari |
इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए,
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए ,
फूल बेचारे अकेले रह गए हैं शाख पर,
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए ,
फूल बेचारे अकेले रह गए हैं शाख पर,
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए
Rahat Indori Shayari |
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है,
चाँद पागल है अन्धेरें में निकल पड़ता है,
उसकी याद आई हैं सांसों में
जरा धीरे चलो धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता है
चाँद पागल है अन्धेरें में निकल पड़ता है,
उसकी याद आई हैं सांसों में
जरा धीरे चलो धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता है
Rahat Indori Shayari |
जा के कोई कह दे, शोलों से चिंगारी से फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से
बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए हमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से
बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए हमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से
Rahat Indori Shayari |
बन के इक हादसा बाज़ार में आ जाएगा
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की करो कद्र, कोई मालूम नहीं
कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की करो कद्र, कोई मालूम नहीं
कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा
Rahat Indori Shayari |
नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं
Rahat Indori Shayari |
इश्क में पिट के आने के लिए काफी हूँ,
मैं निहत्था ही ज़माने के लिए काफी हूँ,
हर हकीकत को मेरी, खाक समझने वाले ,
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए काफी हूँ ,
एक अख़बार हूँ, औकात ही क्या मेरी मगर,
शहर में आग लगाने के लिए काफी हूँ
मैं निहत्था ही ज़माने के लिए काफी हूँ,
हर हकीकत को मेरी, खाक समझने वाले ,
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए काफी हूँ ,
एक अख़बार हूँ, औकात ही क्या मेरी मगर,
शहर में आग लगाने के लिए काफी हूँ
Rahat Indori Shayari |
दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं,
सब अपने चहेरों पर, दोहरा नकाब रखते हैं ,
हमें चिराग़ समझ कर बुझा ना पाओगे ,
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं
सब अपने चहेरों पर, दोहरा नकाब रखते हैं ,
हमें चिराग़ समझ कर बुझा ना पाओगे ,
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं
Rahat Indori Shayari |
राज़ जो हो कुछ तो इशारों में बता देना
हाथ जब उससे मिलाओ तो दबा भी देना,
नशा वेसे तो बुरी शे है, मगर
“राहत” से सुननी हो तो थोड़ी सी पिला भी देना
हाथ जब उससे मिलाओ तो दबा भी देना,
नशा वेसे तो बुरी शे है, मगर
“राहत” से सुननी हो तो थोड़ी सी पिला भी देना
Rahat Indori Shayari |
इस से पहले की हवा शोर मचाने लग जाए मेरे
“अल्लाह” मेरी ख़ाक ठिकाने लग जाए,
घेरे रहते हैं खाली ख्वाब मेरी आँखों को ,
काश कुछ देर मुझे नींद भी आने लग जाए ,
साल भर ईद का रास्ता नहीं देखा जाता ,
वो गले मुझ से किसी और बहाने लग जाए
“अल्लाह” मेरी ख़ाक ठिकाने लग जाए,
घेरे रहते हैं खाली ख्वाब मेरी आँखों को ,
काश कुछ देर मुझे नींद भी आने लग जाए ,
साल भर ईद का रास्ता नहीं देखा जाता ,
वो गले मुझ से किसी और बहाने लग जाए
Rahat Indori Shayari |
दोस्ती जब किसी से की जाये,
दुश्मनों की भी राय ली जाए ,
बोतलें खोल के तो पी बरसों ,
आज दिल खोल के पि जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए ,
बोतलें खोल के तो पी बरसों ,
आज दिल खोल के पि जाए
Rahat Indori Heat Toching Shayari
Rahat Indori Shayari |
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए ,
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए ,
भूलना भी है जरुरी याद रखने के लिए ,
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए ,
भूलना भी है जरुरी याद रखने के लिए ,
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए
Rahat Indori Shayari |
इस दुनिया ने मेरी वफ़ा का कितना ऊँचा मोल दिया,
बातों के तेजाब में, मेरे मन का अमृत घोल दिया ,
जब भी कोई इनाम मिला है, मेरा नाम तक भूल गए,
जब भी कोई इलज़ाम लगा है, मुझ पर लाकर ढोल दिया
बातों के तेजाब में, मेरे मन का अमृत घोल दिया ,
जब भी कोई इनाम मिला है, मेरा नाम तक भूल गए,
जब भी कोई इलज़ाम लगा है, मुझ पर लाकर ढोल दिया
Rahat Indori Shayari |
कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया,
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया,
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है,
लोगो ने पूछ-पूछ के बीमार कर दिया
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया,
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है,
लोगो ने पूछ-पूछ के बीमार कर दिया
Rahat Indori Shayari |
मौसमो का ख़याल रखा करो,
कुछ लहू मैं उबाल रखा करो,
लाख सूरज से दोस्ताना हो,
चंद जुगनू भी पाल रखा करो
कुछ लहू मैं उबाल रखा करो,
लाख सूरज से दोस्ताना हो,
चंद जुगनू भी पाल रखा करो
Rahat Indori Shayari |
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
Rahat Indori Shayari |
ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर,
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे
Rahat Indori Shayari |
मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ,
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे
Rahat Indori Shayari |
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी
Rahat Indori Shayari |
हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा है,
आज से हमनें तेरा नाम ग़ज़ल रखा है,
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया,
मेरे कमरे में भी एक “ताजमहल” रखा हैं
आज से हमनें तेरा नाम ग़ज़ल रखा है,
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया,
मेरे कमरे में भी एक “ताजमहल” रखा हैं
Rahat Indori Shayari |
ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी ,
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं
Rahat Indori Shayari |
मेरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे ,
मेरे भाई मेरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले
मेरे भाई मेरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले
Rahat Indori Shayari |
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा ,
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
Rahat Indori Shayari |
मैं पर्बतों से लड़ता रहा,
और चंद लोग गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए
और चंद लोग गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए
Rahat Indori Shayari |
मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को,
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे
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Final Words :
जब-जब Rahat Indori Shayari मेरे कानो तक पहुँचती है तो सच कहता हूँ ये सीधा मेरे दिल में ही उतर जाती है। राहत इन्दोरी जी की कही एक-एक बात का इतना ज्यादा गहरा अर्थ होता है की जिसका कोई हिसाब ही नहीं है। जो भी इनकी शायरी में छुपी हुई बात समझ लेता है वोही इनका fan हो जाता है। Rahat Indori Shayari आज की जो new generation है उनमे भी बहुत ही ज्यादा famous है। खास कर के वह लोग इनकी शायरी में छुपी हुई बातें समझ पाते है जिनका कभी जिंदगी में दिल टूटा होता है।आशा करते है की आपको ये शायरी बहुत पसंद आयी होगी। और यदि आपको इस article में कोई भी गलती दिखी हो तो आप हमें comment box में comment कर के जरूर बता दें। ताकि हम अगली बारी से आपको कोई भी दिक्कत आने ही ना दें। तो दोस्तों ऐसे ही आर्टिकल पढ़ते रहने के लिए आप Kuchkhastech.info पर फिर से visit करना बिलकुल न भूलें.