Mirza Ghalib Shayari In Hindi
नमस्कार दोस्तों देखा जाए तो इस दुनिया में शेरो शायरी हर किसी को पसंद होती है। और आज के इस दौर में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें शायरी पसंद है और इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो शायरी लिखते भी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की शेरो शायरी में ऐसा कौन सा नाम है जिसे हर कोई पसंद करता है। दरासल वह है मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी हिंदी में, और इसी लिए आज हम आप लोगों के लिए Mirza Ghalib Ki Shayari In Hindi लेकर आये हैं। जिसे देख आप भी समझ जाओगे की आखिर क्यों इन्हें इतना बड़ा शायर माना जाता है और आखिर क्यों आज भी लोग इनकी लिखी शायरी को पढ़ते हैं और उसमें खो जाते हैं. तो दोस्तों यह मिर्जा ग़ालिब दर्द शायरी इन हिंदी जिसे आप आसानी से पढ़ सकते हैं और अपने दोस्तों को व्हाट्सअप और फेसबुक में भी इसे भेज सकते हैं.ग़ालिब की शायरी हिंदी में
Mirza Ghalib Shayari In Hindi |
गुनाह करके कहां जाओगे ग़ालिब
ये जमीं ये आसमा सब उसी का है
Gunah Karke Kaha Jaoge Ghalib |
मशरूफ रहने का अंदाज़ तुम्हें तनहा ना कर दे ग़ालिब
रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं
हमको मालूम है जन्नत की हकीक़त लेकिन
दिल को खुश रखने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है
मौत पे भी मुझे यकीन है
तुम पर भी ऐतबार है
देखना है पहले कौन आता है
हमें दोनों का इंतज़ार है
जिसे "मैं "की हवा लगी
उसे फिर न दवा लगी न दूआ लगी
हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो
हमारा शहर तो बस यूँ ही रास्ते में आया था
Mirza Ghalib Shayari In Hindi |
इसलिए कम करते हैं ज़िक्र तुम्हारा
कहीं तुम ख़ास से आम ना हो जाओ
उम्र भर ग़ालिब यही ग़लती करते रहे
धूल चेहरे पर थी हम आईना साफ करते रहे
जब लगा था तीर तब इतना दर्द नहीं हुआ था ग़ालिब
ज़ख्म का एहसास तब हुआ जब कमान देखी अपनों के हाथ में
वो उम्र भर कहते रहे तुम्हारे सीने में दिल नहीं
दिल का दौरा क्या पड़ा ये दाग भी धुल गया
मेरे पास से ग़ुजर कर मेरा हाल तक न पूछा
मैं ये कैसे मान जाऊ के वो दूर जाकर रोये
Mirza Ghalib Shayari In Hindi |
कुछ इस तरह से मैंने जिंदगी को आसान कर लिया
किसी से माफी मांग ली किसी को माफ़ कर दिया
वो आयेंगे नये वादे लेकर
तुम पुरानी शर्तों पर ही कायम रहना
मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिब
यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना
कितना खौफ़ होता है रात के अंधेरे में
जाकर पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते
Mirza Ghalib Shayari In Hindi |
रहने दे मुझे इन अंधेरों में ए-ग़ालिब
कमबख्त रोशनी में अपनों के असली चेहरे सामने आ जाते हैं
तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक उसने ग़ालिब
के सारी उम्र अपना कसूर ढूँढ़ते रहे
तू तो वो जालिम है जो दिल में रहकर भी मेरा न बन सका
और दिल वो काफिर जो मुझ में रहकर भी तेरा हो गया
बे-वजह नहीं रोता इश्क में कोई ग़ालिब
जिसे खुद से बढ़कर चाहो वो रुलाता ज़रूर है
हम जो सबका दिल रखते हैं
सुनो, हम भी एक दिल रखते हैं
Mirza Ghalib Shayari In Hindi |
दुख देकर सवाल करते हो
तुम भी गालिब कमाल करते हो
एक मुर्दे ने क्या खूब कहा है
ये जो मेरी मौत पर रो रहें हैं
अभी उठ जाऊ तो जीने नहीं देंगे
ये चंद दिन की दुनिया है ग़ालिब
यहां पलकों पर बिठाया जाता है
नज़रो से गिराने के लिए
पीने दे शराब मस्जिद में बैठ के
या वो जगह बता जहां खुदा नहीं है
मुझे कहती है तेरे साथ रहूँगी सदा ग़ालिब
बहुत प्यार करती है मुझसे उदासी मेरी
Mirza Ghalib Shayari In Hindi |
गुजर रहा हूँ
यहाँ से भी गुजर जाउँग
मैं वक्त हूँ
कहीं ठहरा तो मर जाउँगा
बर्दाशत नहीं तुम्हें किसी और के साथ देखना
बात शक की नहीं हक की है
कहते हैं जीते हैं उम्मीद पर लोग
हमको जीने की भी उम्मीद नहीं
इस सादगी पे कौन न मर जाए खुदा
लड़ते हैं और हाथ मे तलवार भी नहीं
मज़िल मिलेगी भटक कर ही सही
गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं
आता है कौन-कौन तेरे गम को बाँटने ग़ालिब
तू अपनी मौत की अफवाह उड़ा के तो देख
Mirza Ghalib Shayari In Hindi |
ना कर इतना गौरव अपने नशे पे शराब
तुझसे भी ज्यादा नशा रखती है आँखें किसी की
बे-वजह नहीं रोता इश्क में कोई ग़ालिब
जिसे खुद से बढ़कर चाहो वो रूलाता जरूर है
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
किसी की क्या मजाल थी जो कि हमें खरीद सकता
हम तो खुद ही बिक गये खरीददार देखकर
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
Mirza Ghalib Shayari In Hindi |
गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूँ तश्ना-ऐ-लब पैगाम के
खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के
इश्क़ ने “ग़ालिब” निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के"
हम रहें यूँ तश्ना-ऐ-लब पैगाम के
खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के
इश्क़ ने “ग़ालिब” निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के"
चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ , चंद हसीनों के खतूत
बाद मरने के मेरे घर से यह सामान निकला
बाद मरने के मेरे घर से यह सामान निकला
न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता
डुबोया मुझको होनी ने, न होता मैं तो क्या होता?
डुबोया मुझको होनी ने, न होता मैं तो क्या होता?
हाथों की लकीरों पर मत जा ए ग़ालिब,
नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होता
नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होता
मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का,
उसी को देखकर जीते हैं जिस काफिर पर दम निकले
उसी को देखकर जीते हैं जिस काफिर पर दम निकले
Mirza Ghalib Shayari In Hindi |
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई,
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए,
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए
आशिक़ हूँ पर माशूक़-फ़रेबी है मिरा काम,
मजनूँ को बुरा कहती है लैला मेरे आगे
मजनूँ को बुरा कहती है लैला मेरे आगे
इश्क पर ज़ोर नहीं है,
ये वो आतिश है गालिब कि लगाए न लगे और बुझाए न बुझे
ये वो आतिश है गालिब कि लगाए न लगे और बुझाए न बुझे
मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिब
यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी
यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी
Mirza Ghalib Shayari In Hindi |
बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब
जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है
जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है
फिर उसी बेवफा पे मरते हैं
फिर वही ज़िन्दगी हमारी है
बेखुदी बेसबब नहीं ‘ग़ालिब’
कुछ तो है जिस की पर्दादारी है
फिर वही ज़िन्दगी हमारी है
बेखुदी बेसबब नहीं ‘ग़ालिब’
कुछ तो है जिस की पर्दादारी है
खुदा के वास्ते पर्दा न रुख्सार से उठा ज़ालिम,
कहीं ऐसा न हो यहाँ भी वही काफिर सनम निकले
कहीं ऐसा न हो यहाँ भी वही काफिर सनम निकले
तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिला के दिखा
नहीं तो दो घूँट पी और मस्जिद को हिलता देख
नहीं तो दो घूँट पी और मस्जिद को हिलता देख
मोहब्बत मैं नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते है जिस काफिर पे दम निकले
उसी को देख कर जीते है जिस काफिर पे दम निकले
थी खबर गर्म के ग़ालिब के उड़ेंगे पुर्ज़े ,
देखने हम भी गए थे पर तमाशा न हुआ
देखने हम भी गए थे पर तमाशा न हुआ
तेरे हुस्न को पर्दे की ज़रुरत नहीं है ग़ालिब
कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद
कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद
कितने शिरीन हैं तेरे लब के रक़ीब
गालियां खा के बेमज़ा न हुआ
कुछ तो पढ़िए की लोग कहते हैं
आज ‘ग़ालिब ‘ गजलसारा न हुआ
गालियां खा के बेमज़ा न हुआ
कुछ तो पढ़िए की लोग कहते हैं
आज ‘ग़ालिब ‘ गजलसारा न हुआ
इश्क़ मुझको नहीं वेहशत ही सही
मेरी वेहशत तेरी शोहरत ही सही
काटा कीजिए न तालुक हम से
कुछ नहीं है तो अदावत ही सही
मेरी वेहशत तेरी शोहरत ही सही
काटा कीजिए न तालुक हम से
कुछ नहीं है तो अदावत ही सही
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई
दोनों को एक अदा में रजामंद कर गई
मारा ज़माने ने ‘ग़ालिब’ तुम को
वो वलवले कहाँ , वो जवानी किधर गई
दोनों को एक अदा में रजामंद कर गई
मारा ज़माने ने ‘ग़ालिब’ तुम को
वो वलवले कहाँ , वो जवानी किधर गई
नादान हो जो कहते हो क्यों जीते हैं “ग़ालिब “
किस्मत मैं है मरने की तमन्ना किसी दिन और
किस्मत मैं है मरने की तमन्ना किसी दिन और
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया,
दर्द की दवा पाई दर्द बे-दवा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द बे-दवा पाया
मिर्जा ग़ालिब शायरी इन हिंदी
जब लगा था तीर, तब इतना दर्द नहीं हुआ "ग़ालिब"
जख्म का एहसास तो तब हुआ, जब कमान देखी अपनों के हाथ में
जख्म का एहसास तो तब हुआ, जब कमान देखी अपनों के हाथ में
हर एक बात पे कहते हो तुम की तू क्या है,
तुम्ही कहो ये अंदाज़-ए -गुफ़्तगू क्या है
तुम्ही कहो ये अंदाज़-ए -गुफ़्तगू क्या है
हैरान हूँ तुझे मस्ज़िद में देखकर ग़ालिब
ऐसा क्या हुआ जो तुझे खुदा याद आ गया
ऐसा क्या हुआ जो तुझे खुदा याद आ गया
कुछ इस तरह से मैंने जिंदगी को आसां कर लिया ग़ालिब,
किसी से माफ़ी मांग ली तो किसी को माफ़ कर दिया
किसी से माफ़ी मांग ली तो किसी को माफ़ कर दिया
मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे,
तू देख की क्या रंग है तेरा मेरे आगे
तू देख की क्या रंग है तेरा मेरे आगे
रहने दे मुझे इस अँधेरे में ग़ालिब,
कम्बख्त रौशनी में अपनों के असली चेहरे नज़र आ जाते है
कम्बख्त रौशनी में अपनों के असली चेहरे नज़र आ जाते है
वो मिले भी तो खुदा के दरबार में ग़ालिब,
अब तू ही बता मोहोब्बत करते या इबादत
अब तू ही बता मोहोब्बत करते या इबादत
गुज़र जायेगे ये दोर ग़ालिब जरा इत्मीनान तो रख
खुसी ही न ठहरी तो गम की क्या औकात है
खुसी ही न ठहरी तो गम की क्या औकात है
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है,
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
आता है कौन-कौन तेरे गम को बाँटने,
ग़ालिब तू अपनी मौत की अफवाह उड़ा के देख
ग़ालिब तू अपनी मौत की अफवाह उड़ा के देख
लोग बदलते नहीं ग़ालिब, बेनकाब होते है
ए बुरे वक़्त जरा अदब से पेश आ, क्योकि वक़्त नहीं लगता वक़्त बदलने में
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल,
जब आँख से ही नहीं टपका तो लहू क्या है
जब आँख से ही नहीं टपका तो लहू क्या है
ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजिये,
एक आग का दरिया है डूब कर जाना है
एक आग का दरिया है डूब कर जाना है
हमने मोहोब्बत के नशे में आकर उसे खुदा बना डाला,
होश तो तब आया जब उसने कहा खुदा किसी एक का नहीं होता
होश तो तब आया जब उसने कहा खुदा किसी एक का नहीं होता
मुझ से कहती है तेरे साथ रहूंगी सदा ग़ालिब
बहोत प्यार करती है मुझे उदासी मेरी
बहोत प्यार करती है मुझे उदासी मेरी
उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा,
धूल चेहरे पे थी और आईना साफ़ करता रहा
धूल चेहरे पे थी और आईना साफ़ करता रहा
हुई मुद्दत की ग़ालिब मर गया पर याद आता है,
वो हर एक बात पर कहना की, यूं होता तो क्या होता
वो हर एक बात पर कहना की, यूं होता तो क्या होता
तुम न आए तो क्या सहर न हुई
हाँ मगर चैन से बसर न हुई
मेरा नाला सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई
हाँ मगर चैन से बसर न हुई
मेरा नाला सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई
पीने दे बैठ कर मस्ज़िद में ग़ालिब
वरना वो जगह बता जहाँ खुदा नहीं
वरना वो जगह बता जहाँ खुदा नहीं
हम तो फनाह हो गए उसकी आँखें देखकर ग़ालिब,
ना जाने वो आईना कैसे देखते होंगे
ना जाने वो आईना कैसे देखते होंगे
इन्हें भी पढ़ें:
तो दोस्तों महान शायर Mirza Ghalib के द्वारा लिखी यह शेरो शायरी आप लोगों को कैसी लगी, हमें उम्मीद है की Mirza Ghalib Shayari In Hindi जोकि ख़ास तोर पर हम आप लोगों के लिए लेकर आये हैं वह आपको अच्छी लगी होगी, और आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट कर के जरूर लिखें, आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद.